What not to eat in Pregnancy |
हर एक महिला शादी के बाद एक सुन्दर और स्वस्थ बच्चे की माँ बनने का स्वप्न देखती है। माँ बनना एक औरत का सबसे सुखद और आनन्दायक पल होता है, जिसे वो जीवनभर भूलती नहीं है। इस आनंद का अनुभव केवल एक गर्भवती महिला ही कर सकती है। पर जब वो गर्भवती होती है तो उन्हें ये नहीं पता होता है कि क्या खाना चाहिये और क्या नहीं खाना चाहिए। इस कारण कभी कभी गर्भपात भी हो जाता है और उन्हें उसके कारणो का पता भी नहीं चल पाता है। इस दुखद घटना को रोकने के लिए कुछ सुझाव दिये जा रहे है, जिसे अपना कर एक गर्भवती महिला माँ का सुख प्राप्त कर सकती है।
गर्भावस्था में महिलाओं को क्या नहीं खाना चाहिए इन बातो का विशेष ध्यान रखे:
- कुछ समुंद्री भोजन (Seafood) ऐसे है जिसे गर्भावस्था में नहीं खाना चाहिए, क्योंकि उसमें पारा की मात्रा अधिक होती है। जो गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग को नुकसान पंहुचा सकता है। जैसे: - सालमोन, केकड़ा, शार्क
- इस दौरान कच्चे खाद्य पदार्थ (Raw Food) खाने से बचे। जितना हो सके पुरे पके हुए फल तथा सब्जियों को अच्छी तरह पका कर खाये। बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित भोजन से बच्चे को हानि पहुँच सकता है।
- इस दौरान ऐसे डेयरी प्रोडक्ट को नहीं खाना चाहिए जिस पर पाश्चरीकरण की प्रकिया को सही तरीके से न की गई हो। जैसे: - मोजरेला चीज, गोट चीज
- इस अवस्था में आधा कच्चा - पका अंडा, मीट और चिकन को सलाद के रूप में लेने से बचे। अंकुरित खाद्य पदार्थ, बंदगोभी और लेट्स के पत्ते को भी अच्छी तरह धोकर खाये। कोशिश करे कि सलाद को भी हल्का फ्राई कर के ही खाये।
- अल्कोहलयुक्त नशीले पेय पदार्थ आपके साथ - साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पंहुचा सकता है।
- आप चाय का सेवन तो जरूर कर रही होंगी। पर शायद आपको ये पता नही होगा कि इसमें कैफीन नामक नशीला पदार्थ होता है जो की बच्चे के लिये हानिकारक होता है। जितना हो सके चाय, कॉफी का सेवन कम करें।
- कुछ फल ऐसे भी है, जिन्हें गर्भावस्था में नहीं खाया जाता है। जैसे: - पपीता, बेल, अनानास। आयुर्वेद में इन फलों का इस्तेमाल गर्भपात की दवा बनाने में किया जाता है।
- अधिक तेल, मसाले तथा मिर्च वाले भोजन से बचना चाहिये। क्योंकि ये पेट में जाकर एसिडिटी, गैस बना सकता है, जिससे गर्भवती महिला को समस्या हो सकती है।
- कब्ज करने वाली खाद्य पदार्थ जैसे मैदा, ब्रेड से बनी भोज्य पदार्थ का सेवन न करें।
- पहले तीन महीने (First Tirmester) में तिल का प्रयोग अपने खाने में न करें, क्योंकि पुराने समय में इसके तेल का प्रयोग गर्भपात के लिए किया जाता था। दूसरे ड्राई फ्रूट्स को भी पानी में भिगोकर 5 से 8 पीस तक ही खाये। जैसे: - बादाम, पिस्ता, अखरोट, किसमिस
अगर गलाती से काले तिल की चटनी ख़ाली तो क्या उपाय
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