*** " होली आई है"***
उड़े अबीर गुलाल की होली आई है,
करते रंग कमाल क़ि होली आई है।
भांग छानकर हुए रवाना झासी वो,
पहुच गये भोपाल कि होली आई है।
बच्चों को क्या समझाए ऐसे में,
बाबा करे धमाल कि होली आई है।
खेले रंग कुँवारे देवर भाभी से,
भैया है बेहाल की होली आई है।
पत्नी से वे कहते की तुम मायके जाओ
मै जाता ससुराल कि होली आई है।
रंग भरी पिचकारी मारी साली ने,
जीजा हुए निहाल की होली आई है।
लपक झपक कपड़े सालो ने फाडे,
वे दिखते कंगाल की होलो आई है।
चाहे जैसे रंग खेल लो होली में,
पर मत करो बवाल की होली आई है।
★बुरा न मानो होली है।★
★Happy holi
Happy holi
Happy holi★
पागल सब अंग हो गए,
होली का रंग चढ़ गया।
बाबा मंलग हो गए,
होली का रंग चढ़ गया।
बड़ी बहू फेके गुलाल,
छोटी ने बदन किया लाल।
बुढ़ऊ भी तंग हो गए,
होली का रंग चढ़ गया।
मस्तियों के पेच जब बढे,
भाभियो ने डोर थाम ली।
देवर पतंग हो गए,
होली का रंग चढ़ गया।
पंडित जी नाचने लगे,
मुल्लाजी झूमने लगे।
उन्मादी दंग हो गए,
होली का रंग चढ़ गया।
हलचल में जोगी भी
आज संतो का सारा समाज।
नियम सभी भंग हो गए,
होली का रंग चढ़ गया।
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